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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2668
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन

प्रश्न- एकाकी व्यापार के गुण एवं दोष समझाइए।

इस प्रश्न का उत्तर नीचे दिये गये सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तरों को मिलाने से पूरा होता है।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न - एकाकी व्यापार के गुण समझाइए |

उत्तर -

एकाकी व्यापार के गुण

एकाकी व्यापार व्यावसायिक संगठन का सबसे प्राचीन प्रारूप होते हुए भी यह आज भी जीवित है और विश्व के सभी देशों में बहुमत में पाया जाता है। डॉ. किम्बाल एवं किम्बाल के अनुसार, "व्यावसायिक संगठन के समस्त प्रारूपों में से एकाकी स्वामित्व सबसे प्राचीन, सरलतम तथा कुछ बातों में यह पूर्णतः स्वाभाविक है।

एकाकी व्यापार के गुण या महत्व या उपयोगिता निम्नलिखित हैं-

(I) एकाकी व्यापार की स्थापना से सम्बन्धित लाभ (Advantages of Sole Trade Relating to Formation) - एकाकी व्यापार की स्थापना सम्बन्धी लाभ निम्नलिखित हैं-

 

1. शुरू तथा अन्त करने में आसानी (Easy to Start and End) - एकाकी व्यापार को आरम्भ करना तथा समाप्त करना आसान होता है। इसे आरम्भ करने में हेतु पंजीयन आदि कानूनी औपचारिकताएँ पूरी नहीं करनी होती हैं। एल. लुण्डी के अनुसार, "एकाकी स्वामी बनना उतना ही सरल है जितना कि तीन सैण्ट के समाचार-पत्रों को खरीदकर गली के कोने पर खड़े होकर पाँच सैण्ट में बेचना।"

2. व्यवसाय का चयन करने की स्वतंत्रता (Freedom in Business Selection ) - एकाकी व्यवसायी व्यवसाय का चुनाव करने में स्वतंत्र होता है। वह अपनी इच्छानुसार कोई व्यवसाय प्रारम्भ कर सकता है अथवा उसमें परिवर्तन भी कर सकता है।

(II) एकाकी व्यापार के प्रबन्ध सम्बन्धी लाभ (Managerial Advantages of Sole Trade) - एकाकी व्यापार के प्रबन्धकीय लाभ इस प्रकार हैं-

1. त्वरित निर्णय (Quick Decision) - चाहे कोई भी व्यवसाय हो उसमें अवसर का लाभ उठाने तथा परिस्थिति का सामना करने हेतु शीघ्र एवं तुरन्त निर्णय की आवश्यकता होती है। चूँकि एकाकी व्यापारी को किन्हीं अन्य व्यक्तियों से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, अतः वह संकट तथा सुअवसर आने पर महत्वपूर्ण बातों का शीघ्र निर्णय करके आवश्यक कार्य कर सकता है। ह्वीलर के शब्दों में, "एकल स्वामी अधिकतम तीव्र गति तथा कम से कम अवरोधों से निर्णय ले सकता है।"

2. पूर्ण नियंत्रण (Complete Control) - व्यापार का स्वामी, प्रबन्धक तथा व्यापार का सर्वेसर्वा होने के कारण एकाकी व्यापारी का अपने व्यापार पर पूर्ण नियंत्रण होता है। उसका अपने कर्मचारियों पर भी पूर्ण नियंत्रण होता है।

3. लोचपूर्णता (Flexibility) - एकाकी व्यापार में अवसर के अनुकूल व्यवसाय में नीति का निर्धारण किया जा सकता है। संगठन के अन्य स्वरूपों में ऐसा परिवर्तन इतनी शीघ्रता व सरलता से नहीं किया जा सकता है। यदि व्यावसायिक संगठन में किसी प्रकार के परिवर्तन की आवश्यकता हो तो एकाकी व्यापार में यह बिना किसी विलम्ब के किया जा सकता है। पीटरसन तथा प्लोमैन के अनुसार, "एकाकी व्यापारी को अपनी योजनाओं, पद्धतियों तथा कार्यविधियों के अनुसार बदलने तथा बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार व्यवसाय को ढालने की पूर्ण स्वतंत्रता है।"

4. सरल समन्वय (Easy Co-ordination) - एकाकी व्यापार में समन्वय करने में आसानी रहती है क्योंकि,

(i) व्यवसाय से सम्बन्धित सभी निर्णय एकाकी व्यापारी द्वारा ही लिये जाते हैं और उन्हें वह स्वयं ही लागू करता है।
(ii) अपने सभी कर्मचारियों से व्यक्तिगत सम्पर्क होने के कारण वह ऐसी व्यवस्था कर सकता है कि सब मिलकर कार्य करें।
(iii) वह स्वयं प्रबन्धक का कार्य करता है इसीलिए बिना किसी मतभेद के ऐसे निर्णय ले सकता है जिनके द्वारा व्यावसायिक कार्य में कर्मचारियों का पूर्ण योगदान प्राप्त हो सके।
(iv) पर्याप्त मात्रा में विशिष्टीकरण रहता है।

5. गोपनीयता (Secrecy) - एकल व्यापार में व्यावसायिक रहस्य बाहरी लोगों की जानकारी में नहीं आने पाते, क्योंकि इनकी जानकारी केवल मालिक को ही होती है।

6. व्यक्तिगत सम्पर्क (Personal Contact ) - एकल व्यापार में ग्राहकों से निकट सम्पर्क रहने से व्यापारी को अपने व्यक्तिगत, नम्रता तथा व्यापारिक कुशलता से अधिक मात्रा में ख्याति प्राप्त करने का सुअवसर मिलता है। सदैव ग्राहकों से घिरे रहने के कारण वह उनकी रुचि एवं माँग का भली प्रकार अध्ययन कर सकता है।

7. सतर्कता (Cautiousness) - एकाकी व्यापार में क्षति होने की दशा में समस्त भार उसी पर होता है, अतः वह सदैव सतर्क रहता है। इतनी अधिक व्यक्तिगत अभिरुचि व्यावसायिक संगठन के अन्य प्रारूपों में नहीं होती है क्योंकि वहाँ पर व्यक्तियों का प्रत्यक्ष हित व्यापार में निहित नहीं होता।

8. पूर्ण नियंत्रण (Full Control) - व्यापार के सम्पूर्ण लाभ का व्यवस्थापक व स्वामी होने के कारण व्यापार पर उसका पूर्ण नियंत्रण होता है। प्रयास तथा पारिश्रमिक का यह सीधा सम्बन्ध एकाकी व्यापारी को अधिकतम प्रयास करने को प्रेरित करता है।

9. पहल- शक्ति (Initiative) - एकाकी व्यापारी में सर्वाधिक पहल शक्ति होती है क्योंकि व्यवसाय की सम्पूर्ण सत्ता उस अकेले के हाथों में होती है और निर्णय लेने के लिये उसे किसी अन्य पर आश्रित नहीं रहना पड़ता है और लिये हुए निर्णय में वह परिवर्तन भी कर सकता है।

10. प्रबन्धकीय गुणों का विकास (Development of Managerial Qualities) - एकाकी व्यापारी में पहले करने, शीघ्र निर्णय लेने, आत्मविश्वास उत्पन्न करने, चातुर्य कुशलता से कार्य करने सम्बन्धी प्रबन्धकीय गुण विकसित हो जाते हैं।

11. आत्म विश्वास (Self-confidence) - एकाकी व्यापारी स्वयं ही सब कुछ करता है, अतः उसमें उत्तरदायित्व, धैर्य तथा आत्म-विश्वास की भावना स्वतः उत्पन्न हो जाती है।

(III) एकाकी व्यापार के आर्थिक लाभ (Economic Advantages of Sole Trade) - एकाकी व्यापार के आर्थिक लाभ निम्नलिखित हैं -

1. ऋणों को प्राप्त करने में सुगमता (Easy to get Loans ) - यदि व्यापार ठीक चल रहा है, ख्याति अच्छी है तो एकाकी व्यापारी को व्यापार विस्तार के लिये ऋणदाताओं से सरलता से ऋण मिल सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि व्यापार का वह एकमात्र स्वामी होता है और ऋण की रकम उसकी व्यक्तिगत सम्पत्ति में से वसूली जा सकती है।

2. पैतृक ख्याति का लाभ (Benefit of Parental Goodwill) - एकाकी व्यापारी पूर्वजों की ख्याति का लाभ उठा सकता है। उसे व्यवसाय के बारे में स्वतः जानकारी हो जाती है।

3. कर सम्बन्धी लाभ (Tax Advantages) - आयकर की दृष्टि से व्यापारी की व्यक्तिगत आय और व्यावसायिक आय में कोई अन्तर नहीं होता है। इस पर आयकर केवल एक व्यक्ति के रूप में लिया जाता है।

4. प्रयत्न तथा परिणाम में प्रत्यक्ष सम्बन्ध (Direct Relationship between Effort and Reward) - एकाकी व्यापार में प्रयत्न तथा परिणाम में प्रत्यक्ष सम्बन्ध विद्यमान रहता है। एकाकी व्यापार के लिये 'जितना गुड़ डालो, उतना मीठा' वाली कहावत लागू होती है। इस दृष्टि से यह प्रेरणा एवं लगन का स्रोत है। एकाकी व्यापारी जानता है कि वह जितना अधिक परिश्रम तथा लगन से कार्य करेगा, उसे उतना ही अधिक लाभ होगा। अतः वह अत्यधिक परिश्रम तथा लगन से कार्य करता रहता है।

(IV) एकाकी व्यापार के सामाजिक लाभ (Social Advantages of Sole Trade) - सामाजिक दृष्टि से एकाकी व्यापार दो दृष्टियों से लाभकारी है। इसके द्वारा समाज के सभी सदस्यों को साहस करने की स्वतंत्रता रहती है। वह कम पूँजी एवं साहस से व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते हैं। इससे समाज की बेरोजगारी कुछ सीमा तक दूर होती है। दूसरे, इस पद्धति से आर्थिक सत्ता के केन्द्रीयकरण का भय नहीं रहता।

एकाकी व्यापार के सामाजिक लाभ निम्नलिखित होते हैं -

1. व्यवसाय का विकेन्द्रीकरण (Decentralization of Business) - एकाकी व्यापार के होने से समाज की सम्पत्ति का ज्यादा लोगों में विभाजन सम्भव होता है। यह समाज की अधिक से अधिक लोगों में विभाजित करने का सबसे सुलभ साधन है। इसके द्वारा पूँजी का संचय और व्यवसायों का स्वामित्व केवल कुछ लोगों के हाथों में केन्द्रित नहीं हो पाता है। एकाकी व्यापार अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने में समर्थ होता है।

2. उपभोक्ताओं की प्रत्यक्ष सेवा (Direct Service in Consumers) - एकाकी व्यापारी बिना किसी मध्यस्थ को बीच में डाले उपभोक्ताओं की प्रत्यक्ष सेवा करता है।

3. व्यावसायिक प्रशिक्षण का साधन (Means of Business Training) एकाकी व्यापारी थोड़ी-सी पूँजी लगाकर प्रायः छोटे पैमाने पर व्यवसाय प्रारम्भ करता है। व्यवसाय की सभी कार्यवाहियाँ उसे स्वयं ही करनी पड़ती हैं। इसमें धीरे-धीरे उसके ज्ञान में वृद्धि होती है और वह सफल व्यवसायी बनकर उसका विकास करने लगता है। एकाकी व्यापार व्यावसायिक प्रशिक्षण की प्रारम्भिक पाठशाला की भाँति भूमिका निभाता है।

4. स्वतंत्र जीविका का साधन (Source of Independent Livelihood ) - एकाकी व्यापार जन साधारण को स्वतंत्रतापूर्वक अपनी रोटी-रोजी कमाने का सुअवसर प्रदान करता है। ये लोग व्यवसाय के क्षेत्र में स्वतंत्रता का रसास्वादन करते हैं। इसके विपरीत, नौकरी एक पराश्रित जीवन एवं अभिशाप है।

5. साधनों का अधिकतम उपयोग (Maximum Utilisation of Resources) - एकाकी व्यापार समाज के साधनों का समाज के हित में अधिकतम उपयोग करता है, कहीं भी उनका अपव्यय नहीं होने देता।

(V) एकाकी व्यापार के अन्य लाभ (Other Advantages of Sole Trade) - एकाकी व्यापार के कुछ अन्य लाभ निम्नलिखित हैं -

1. कार्य के प्रति अत्यन्त लगन व तत्परता रहती है।
2. एकाकी व्यापार की हस्तकला को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
3. एकाकी व्यापार बड़े उद्योगों को प्रेरणा देता है।
4. एकाकी व्यापार का केन्द्र-बिन्दु सामान्य लोग होते हैं।
5. एकाकी व्यापार से नई वस्तुओं के विकास एवं उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।
6. एकाकी व्यापारियों में प्रतियोगिता होने से वस्तुओं के मूल्य उचित व समरूप रहते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- व्यवसाय का अर्थ बताइये। इसकी विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- व्यवसाय की विशेषताएं बताइये।
  3. प्रश्न- व्यवसाय के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- 'व्यवसाय किसी भी राष्ट्र की संस्कृति में एक प्रधान संस्था है, राष्ट्र के साधनों का एक प्रमुख उपभोक्ता एवं प्रबन्ध है तथा रोजगार एवं आय का मूल स्रोत है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  5. प्रश्न- व्यवसाय की परिभाषा दीजिए तथा इसके क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यवसाय का क्षेत्र समझाइये।
  7. प्रश्न- 'व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होना चाहिए या सेवा करना अथवा दोनों ही? इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  8. प्रश्न- व्यवसाय के विकास की अवस्थाएँ समझाइए।
  9. प्रश्न- व्यापार तथा वाणिज्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- वाणिज्य तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- व्यापार तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- 'व्यवसाय एक सामाजिक क्रिया है। समझाइये |
  13. प्रश्न- व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग का परस्पर सम्बन्ध बताइये।
  14. प्रश्न- व्यापार किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ?
  15. प्रश्न- वाणिज्य, व्यवसाय व व्यापार में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
  16. प्रश्न- व्यवसाय के उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- यदि व्यापार वाणिज्य का अंग है तो उद्योग उसका आधार है। इस कथन की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- व्यवसाय की अवधारणा स्पष्ट करो।
  19. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इसका महत्व अथवा लाभ बताइए।
  20. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का महत्व या लाभ समझाइए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन के उद्देश्य क्या हैं?
  23. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का कार्यक्षेत्र समझाइए।
  24. प्रश्न- आधुनिक व्यवसाय का क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएँ क्या होती हैं? ई-व्यवसाय का वर्णन कीजिए। इसके लाभ एवं हानियाँ भी बताइये।
  25. प्रश्न- ई-व्यवसाय क्या है?
  26. प्रश्न- ई-व्यवसाय के लाभ समझाइये।
  27. प्रश्न- ई-व्यवसाय की हानियाँ समझाइये |
  28. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण की अवधारणा समझाइए। इसके लाभ एवं हानियाँ क्या हैं?
  29. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण के लक्षण समझाइये।
  30. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के लाभ समझाइये |
  31. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण की हानियाँ क्या हैं?
  32. प्रश्न- उन सेवाओं को समझाइए जिनका बाह्यस्रोतीकरण किया जा सकता है।
  33. प्रश्न- ई-व्यवसाय का क्षेत्र बताइये।
  34. प्रश्न- ई-व्यवसाय तथा परम्परागत व्यवसाय में अन्तर बताइये।
  35. प्रश्न- ई-व्यवसाय के क्रियान्वयन हेतु जरूरी संसाधन बताइये।
  36. प्रश्न- एक नये व्यवसाय की स्थापना करने से पूर्व ध्यान में रखे जाने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
  37. प्रश्न- नये व्यवसाय के सम्बन्ध में प्रारम्भिक अन्वेषण से आप क्या समझते हैं?
  38. प्रश्न- व्यवसाय संगठन के प्रारूप का चयन करते समय ध्यान में रखे जाने बिन्दु कौन-कौन से हैं?
  39. प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना के घटकों पर विचार करते समय वित्तीय नियोजन को समझाइये।
  40. प्रश्न- व्यवसाय के स्थान, स्थिति एवं आकार को बताइए।
  41. प्रश्न- क्या व्यवसाय की स्थापना में किन्हीं कानूनी औपचारिकताओं को ध्यान में रखना होता है?
  42. प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना करने में निम्नलिखित विचारणीय कारकों को समझाइये - (a) संयन्त्र अभिन्यास (b) क्रय तथा विक्रय नीति (c) प्रबन्ध (d) कार्यालय का उचित संगठन।
  43. प्रश्न- एक सफल व्यवसायी कौन होता है? उन गुणों को बताइये जो आपके विचार में एक सफल व्यवसायी में होने चाहिए।
  44. प्रश्न- ऐसे कौन-से घटक हैं जिन पर व्यावसायिक संगठन के प्रारूप का चयन आधारित होता है? समझाइए।
  45. प्रश्न- व्यावसायिक इकाइयों के स्वामित्व के विभिन्न प्रकार अथवा प्रारूप कौन-कौन से हैं? एकाकी व्यापार को परिभाषित कीजिए तथा इसकी प्रधान विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- एकाकी व्यापार से आप क्या समझते हैं?
  47. प्रश्न- एकाकी व्यापार की विशेषताएँ समझाइए।
  48. प्रश्न- एकाकी व्यापार के गुण एवं दोष समझाइए।
  49. प्रश्न- एकाकी व्यापार की हानियाँ या दोष समझाइए।
  50. प्रश्न- एकाकी व्यापार का सामाजिक महत्व बताइए।
  51. प्रश्न- क्या एकाकी व्यापार प्राचीन जंगली युग का अवशेष माना जाता है?
  52. प्रश्न- एकाकी व्यापार की सीमाएँ एवं भविष्य बताइए।
  53. प्रश्न- "एकाकी नियंत्रण विश्व में सर्वश्रेष्ठ है यदि वह एक व्यक्ति इतना बड़ा है कि व्यवसाय को भली प्रकार संभाल सके।' व्याख्या कीजिए।
  54. प्रश्न- साझेदारी का आशय एवं परिभाषाएँ दीजिए। इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- साझेदारी की विशेषताएँ, प्रकृति या लक्षण क्या हैं?
  56. प्रश्न- "व्यवसाय के अन्तर्गत साझेदारी प्रारूप अनुपयोगी बन चुका है इसे मिटा देना चाहिए।" इस कथन की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
  57. प्रश्न- साझेदारी की हानियाँ बताइए।
  58. प्रश्न- "साझेदारी का अधिक दिन चलना कठिन है।' आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए और यह सिद्ध कीजिए कि आदर्श साझेदारी अधिक समय तक चल सकती है।
  59. प्रश्न- आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए।
  60. प्रश्न- क्या आदर्श साझेदारी ज्यादा समय तक चल सकती है?
  61. प्रश्न- साझेदारी संलेख क्या है? इसमें किन-किन महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख रहता है?
  62. प्रश्न- साझेदारी तथा सहस्वामित्व में अन्तर बताइये।
  63. प्रश्न- क्या साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है? एक साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन न कराने के क्या परिणाम होते हैं?
  64. प्रश्न- "लाभों का बँटवारा करना ही साझेदारी के अस्तित्व का निश्चयात्मक प्रमाण नहीं है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- साझेदारी के भेद कीजिए तथा सीमित साझेदारी की विशेषताएँ लिखिए।
  66. प्रश्न- एकाकी व्यापार तथा साझेदारी से किस प्रकार भिन्न है?
  67. प्रश्न- साझेदारी तथा संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- दीर्घ उत्तरीय संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी क्या है? इसकी विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  69. प्रश्न- एक कम्पनी में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  70. प्रश्न- संयुक्त पूँजी कम्पनी के गुण एवं दोष बताइये।
  71. प्रश्न- संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी के दोष बताइये।
  72. प्रश्न- निजी कम्पनी तथा लोक कम्पनी को परिभाषित कीजिए। इनमें अन्तर बताइये।
  73. प्रश्न- लोक कम्पनी से आपका क्या आशय है?
  74. प्रश्न- सार्वजनिक कम्पनी की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- निजी कम्पनी तथा सार्वजनिक कम्पनी में अन्तर बताइए।
  76. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के निर्माण सम्बन्धी प्रावधान बताइये।
  78. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के सम्बन्ध कम्पनी अधिनियम, 2013 में दिये गये प्रावधान बताइये।
  79. प्रश्न- कम्पनी और साझेदारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- कम्पनी के निगमन की विधि के अनुसार कम्पनियाँ कितने प्रकार की होती हैं? उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- निम्नलिखित को समझाइए - (i) विदेशी कम्पनी (ii) सूत्रधारी कम्पनी |
  82. प्रश्न- निष्क्रिय कम्पनी पर टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी को प्राप्त विशेषाधिकार / छूटें बताइये।
  84. प्रश्न- बहु-व्यक्ति कम्पनी तथा एक व्यक्ति कम्पनी में अन्तर बताइये।
  85. प्रश्न- (i) एकाकी व्यापार की तुलना में संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी से होने वाले लाभ बताइये। (ii) क्या संयुक्त पूँजी कम्पनी प्रारूप साझेदारी प्रारूप पर सुधार है?
  86. प्रश्न- सहकारी संगठन से आप क्या समझते हैं? संगठन के सहकारी प्रारूप के लाभ-दोषों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- सहकारिता या सहकारी संगठन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- सहकारी संगठन के लाभ बताइये।
  89. प्रश्न- सहकारी संगठन अथवा सहकारिता के दोष बताइये।
  90. प्रश्न- सहकारिताओं के प्रारूप या प्रकार बताइये।
  91. प्रश्न- सहकारी संगठन तथा संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी में क्या अन्तर है?
  92. प्रश्न- स्थानीयकरण से क्या आशय है? सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थान निर्धारण सिद्धान्त का आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के स्थानीयकरण सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  94. प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के सिद्धान्त की आलोचनाएं बताइए।
  95. प्रश्न- संयन्त्र स्थान निर्धारण से आप क्या समझते हैं? संयन्त्र स्थान निर्धारण को प्रभावित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  96. प्रश्न- स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
  97. प्रश्न- अल्फ्रेड वेबर का स्थानीयकरण का सिद्धान्त क्या है? इसे कौन-कौन से घटक प्रभावित करते हैं?
  98. प्रश्न- वेबर के स्थानीयकरण सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  99. प्रश्न- वेबर तथा फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थानीयकरण के सिद्धान्तों में अन्तर बताइये।
  100. प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के उद्देश्य व महत्व लिखिए।
  101. प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के लाभ-दोष समझाइये।
  102. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास से आप क्या समझते हैं? एक आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए। वे कौन से उद्देश्य हैं जिन्हें प्रबन्ध वर्ग संयन्त्र अभिन्यास के माध्यम से प्राप्त करना चाहता है?
  103. प्रश्न- आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए।
  104. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के उद्देश्य बताइए।
  105. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के प्रकार बताइए तथा इनके सापेक्षिक लाभ तथा दोष बताइए।
  106. प्रश्न- उत्पाद अथवा रेखा संयन्त्र अभिन्यास के लाभ-दोष समझाइए।
  107. प्रश्न- कार्यात्मक अथवा प्रक्रिया संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके लाभ व हानियाँ समझाइए।.
  108. प्रश्न- स्थिर सामग्री वाला संयन्त्र अभिन्यास अथवा स्थायी स्थिति संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके गुण-दोष बताइए।
  109. प्रश्न- संयुक्त संयन्त्र अभिन्यास को समझाइए।
  110. प्रश्न- अच्छे संयन्त्र अभिन्यास का महत्व बताइए।
  111. प्रश्न- उचित रूप से नियोजित संयन्त्र अभिन्यास के सिद्धान्त बताइए।
  112. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
  113. प्रश्न- व्यावसायिक इकाई से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक इकाई अथवा औद्योगिक इकाई के आकार के माप अथवा प्रमाप या मानदण्ड समझाइये |
  114. प्रश्न- व्यावसायिक या औद्योगिक इकाई के आकार की माप या प्रमाप अथवा मापदण्ड समझाइये।
  115. प्रश्न- व्यवसाय के अनुकूलतम आकार से आप क्या समझते हैं? अनुकूलतम आकार की इकाई निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन हैं, इनकी व्याख्या कीजिए।
  116. प्रश्न- व्यावसायिक इकाई के अनुकूलतम आकार को निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं, विस्तारपूर्वक समझाइये।
  117. प्रश्न- बड़े आकार से प्राप्त होने वाली मितव्ययिताएँ या बचतें समझाइये।
  118. प्रश्न- व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाई के आकार को निर्धारित करने वाले घटक बताइये।
  119. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म तथा साम्य फर्म क्या हैं?
  120. प्रश्न- अन्तर कीजिए - (a) अनुकूलतम फर्म तथा प्रतिनिधि फर्म (b) अनुकूलतम फर्म तथा साम्य फर्म।
  121. प्रश्न- बड़े आकार वाली व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाइयों की हानियाँ बताइये।
  122. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन से आप क्या समझते हैं? संयोजन आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं? समझाइये।
  123. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन की विशेषताएँ बताइये।
  124. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन के आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  125. प्रश्न- संयोजन के विभिन्न प्रारूपों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- चेम्बर ऑफ कामर्स क्या है? इसके उद्देश्य व कार्य बताइये।
  127. प्रश्न- श्रम संघ को समझाइये।
  128. प्रश्न- अनौपचारिक ठहराव से आप क्या समझते है? इसके प्रकार एवं लाभ-दोष बताइये।
  129. प्रश्न- सन्धान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- उत्पादक संघ क्या होता है?
  131. प्रश्न- प्रन्यास क्या होता है? इसके गुण व दोष लिखिए।
  132. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) सूत्रधारी कम्पनी (b) सामूहिक हित
  133. प्रश्न- पूर्ण संघनन से आप क्या समझते है? इनके गुण व दोष लिखिए।
  134. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के संयोजनों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  135. प्रश्न- औद्योगिक संयोजन क्या हैं? इसके लाभ व दोष बताइए।
  136. प्रश्न- मिश्रित संयोजन क्या है? इसके उद्देश्य बताइए।
  137. प्रश्न- सेवा संयोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  138. प्रश्न- सहायक संयोजन को समझाइए।
  139. प्रश्न- क्या व्यावसायिक संयोजन उपभोक्ताओं के हित में है?
  140. प्रश्न- व्यावसायिक संयोगों के लाभों एवं हानियों की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- क्षैतिज संयोजन तथा उदग्र संयोजन में अन्तर बताइये।
  142. प्रश्न- पूल से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्य बताइये।
  143. प्रश्न- संघ या पूल के लाभ एवं हानियाँ बताइये।
  144. प्रश्न- संघों के प्रकार समझाइये।
  145. प्रश्न- संयोजन के उद्देश्य बताइये।
  146. प्रश्न- उत्पादक संघ कार्टेल तथा संघनन में अन्तर बताइये।
  147. प्रश्न- प्रन्यास एवं उत्पादक संघों में अन्तर बताइये।
  148. प्रश्न- प्रन्यास एवं सूत्रधारी कम्पनी में क्या अन्तर है?
  149. प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं? विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
  150. प्रश्न- विवेकीकरण की विशेषताएं बताइये।
  151. प्रश्न- विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक अथवा कारण कौन-कौन हैं?
  152. प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं। इसके लाभों को बताइये।
  153. प्रश्न- विवेकीकरण के लाभों को बताइये।
  154. प्रश्न- "भारतीय उद्योगों का भविष्य विवेकीकरण में निहित है।' इस कथन की विवेचना कीजिए तथा विवेकीकरण के लाभों को समझाइये |
  155. प्रश्न- विवेकीकरण तथा वैज्ञानिक प्रबन्ध में अन्तर कीजिए।
  156. प्रश्न- विवेकीकरण तथा राष्ट्रीयकरण में अन्तर कीजिए।
  157. प्रश्न- विवेकीकरण के प्रमुख पहलू बताइये।
  158. प्रश्न- विवेकीकरण के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  159. प्रश्न- भारतीय उद्योगों में विवेकीकरण की धीमी प्रगति के कारण स्पष्ट रूप से समझाइये।
  160. प्रश्न- विवेकीकरण का मानवीय या सामाजिक पहलू बताइए। विवेकीकरण के उद्देश्य क्या हैं?
  161. प्रश्न- विवेकीकरण की हानियाँ बताइये।

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